हिंसा को अहिंसा से  जीता जा सकता है :: मोरारी बापू।।                      शिव का सवरूप है  आनंद भैरव।।                       भारत देश धन्य है  जहां  गंगा जैसी पवित्र नदी बहती ::  मोरारी बापू ।।    

हिंसा को अहिंसा से  जीता जा सकता है :: मोरारी बापू।।                    


 शिव का सवरूप है  आनंद भैरव।।                       भारत देश धन्य है  जहां  गंगा जैसी पवित्र नदी बहती ::  मोरारी बापू ।।    



 


        उत्तरकाशी (चिरंजीव सेमवाल)4 नवम्बर। विश्व विख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने रघुकुल का वर्णन करते हुए  कहा कि तुलसीदास जी ने लिखा  "रघुकुल  रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन ना जाए "  रघुकुल कि  परंपरा हैं कि प्राण जाय पर वचन नही जाता । यही वज रही कि कैकय के द्धारा मांगे गये दो वचन को राजा  दशरथ ने आपने प्रिय व सबसे बडे पुत्र राम  को चौदह वर्ष का वनवास दे दिया और श्री राम के वियोग मैं खूद के प्राण तेयाग दिये ये रघु कुल की मर्यादा है।         
  सोमवार को उत्तरकाशी ज्ञानसू स्थित गंगा जी के तट पर श्री राम कथा के चतुर्थ दिन  मोरारी बापू ने कहा कि तुलसी दास जी कहते हैं कि वह देश धन्य है जहां गंगा  जैसी पवित्र नदी बहती है। और आप हम  धन्य हैं जो हिमालय के सुरम्य घाटी मैं बसा बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी पुण्य सलिल  गंगा जी के तट पर  राम -नाम  के गुणगान करने का सौभाग्य मिल रहा है।  जहां बाबा विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी मैं भैरव जी हैं भैरव शिव जी का रूप माना जाता हैं। बापू ने बाताया कि गुजरात सौकड़ों साहित्यकार ने भैरव के 35 नाम बताये। भैरव शिव गण भी कहा जाता हैं ओर बापू इसे आनंद भैरवी मानते है, लेकिन कुछ लोग भैरव को शत्रु नाशक तंत्र विद्या के द्वारा मानते हैं ,लेकिन हिंसा को अहिंसा से    जीता जा सकता है बापू ने कहा है कि शत्रु को तलवार से जवाब देना जरूरी नहीं बल्कि पवित्र विचारों से भी मित्र बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह '' छण" धन्य है जो संतसंग मैं लगता है । बापू ने बताया कि रामचरित्रमानस मैं लिखा है "बिनु सत्संग विवेक न होये" अर्थात सत्संग के बिना मनुष्य का विवेक नहीं जागता , इसलिए सत्संग में जाना चाहिए। सत्संग  से एक और जहां मनुष्य की विवेक के द्वार खोल देता है वही सत्संग आनंद का भी स्वरूप है।