खनन माफियाओं से  डरी सरकार! पछवादून में अवैध खनन का ‘तांडव’।। ... तो क्या भंडारण की आड़ में चल रहा सारा खेल?

खनन माफियाओं से 
डरी सरकार!



पछवादून में अवैध खनन का 'तांडव'।।
... तो क्या भंडारण की आड़ में चल रहा सारा खेल?


देहरादून। उत्तराखण्ड में खनन माफियाओं से सरकार क्यों डरी हुई यह समझ से परे है? हैरानी वाली बात है कि प्रदेश के कुछ जिलों में खनन माफियाओं का सिंडिकेट अपने आकाओं के दम पर नदियों का सीना चीर कर अवैध खनन से अकूत दौलत कमा रहा है और सरकार खनन माफियाओं पर गैंगस्टर व चोरी के मुकदमें दर्ज करने से भी सहमी हुई है? इससे साफ संदेश जा रहा है कि खनन माफियाओं पर सरकार सख्ती करने के मूड में नहीं है? गजब बात तो यह है कि राजधानी में जहां समूची सरकार विराजमान है, वहां पछवादून में जिस तरह से कुछ घाटों पर रात के अंधेरे में अवैध खनन का तांडव चल रहा है, वह सीधे तौर पर पुलिस महकमे के लिए एक बड़ी चुनौती ही कहा जा सकता है? जिले के पुलिस कप्तान ने सभी अधिकारियों व थाना प्रभारियों को सख्त आदेश दे रखे है कि किसी इलाके में अवैध खनन न हो पाए। यहीं कारण है कि शहरी क्षेत्र में तो अवैध खनन पर लगभग लगाम लगी हुई है लेकिन पछवादून में खनन माफियाओं को आखिर किसका संरक्षण मिला हुआ है, जिसके चलते वह कुछ घाटों से रात के अंधेरे में अवैध खनन का काला कारोबार करने से बाज नहीं आ रहे है? चर्चा यहां तक है कि एक संचालक अवैध खनन का माल अपने भंडाराण पर एकत्र कर रहा है और खनन विभाग व पुलिस महकमे की भी इस पर नजर क्यों नहीं जा रही है यह हैरान करने वाली बात है? ढकरानी में जिस तरह से अवैध खनन माफियाओं ने एक पुलिसकर्मी को ट्रैक्टर से रौंदने के लिए उसपर गाड़ी चढ़ाई, उससे साफ संदेश जा रहा है कि खनन माफियाओं में संभवतः पुलिस का कोई डर नहीं है? आशंकाएं यहां तक पनप रही है कि खनन माफियाओं ने कुल्हाल से डाकपत्थर तक अपना साम्राज्य फैला रखा है और खनन व पुलिस महकमा उनपर बड़ी नकेल लगाने में क्यों कामयाब नहीं हो पा रहा है, यह समझ से परे है? 
उल्लेखनीय है कि ढाई साल पूर्व जब उत्तरखण्ड में डबल इंजन की सरकार सत्ता में आई थी तो उसने फरमान जारी किया था कि वह भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम करेगी। कांग्रेस शासनकाल में खनन माफियाओं पर हमेशा गुर्राने वाली भाजपा आरोपों की झड़ी लगाती थी कि सरकार व खनन माफियाओं की सांठगांठ के चलते राज्य में अवैध खनन का काला कारोबार चल रहा है। उत्तराखण्ड में भाजपा की सरकार सत्ता में आई तो उम्मीद थी कि राज्य में अवैध खनन माफियाओं के सिंडिकेट पर डबल इंजन सरकार बड़ा अटैक करेगी लेकिन आवाम की यह सोच चारों खाने चित हो गई क्योंकि सरकार की खामोशी के चलते राज्य के कुछ जिलों में अवैध खनन का काला कारोबार जिस तेजी के साथ पनप रहा है, उसको लेकर अब कांग्रेस भी सरकार पर हमलावर हो रखी है। राजधानी में अपनी पारी शुरू करते हुए पुलिस कप्तान अरूण मोहन जोशी ने समूची पुलिस को अल्टीमेटम दिया था कि अगर किसी भी इलाके में अवैध खनन होता पाया गया तो वहां के थाना व चौकी प्रभारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। पुलिस कप्तान के अल्टीमेटम के बाद राजधानी में अवैध खनन माफियाओं के अंदर एक बड़ा डर देखने को मिला था। हालांकि चर्चाएं है कि पिछले कुछ समय से पछवादून के कुछ घाटों पर रात के अंधेरे में खनन माफिया अवैध खनन का काला कारोबार कर रहे है? चर्चाएं यह भी है कि खनन माफियाओं ने कुल्हाल से लेकर डाकपत्थर तक अपना साम्राज्य फैला रखा है? खनन माफियाओं पर नकेल लगाने के लिए बनाया गया खनन महकमा नदियों से चोरी हो रहे खनिज को रोकने में जहां नाकाम साबित हो रहा है, वहीं पुलिस की कार्रवाई भी संदेह के घेरे में नजर आ रही है? चर्चाएं है कि पछवादून के एक नंबर पुल, नवाबगढ़, शनिधाम, भीमावाला घाट, ढालीपुर, मटक माजरी, कुल्हाल, ढकरानी आदि क्षेत्रों में रात के अंधेरे में अवैध खनन का तांडव चल रहा है? इस बात की पुष्टि उस समय और हो गई जब ढकरानी में अवैध खनन से भरे ट्रैक्टर को पुलिसकर्मियों ने रोकने का प्रयास किया तो एक पुलिसकर्मी पर खनन माफियाओं ने ट्रैक्टर से उसपर अटैक कर दिया। खनन माफियाओं का यह बेखौफपन कई सवालों को जन्म दे गया? सवाल खड़े हो रहे है कि क्या ऐसे खनन माफियाओं को कुछ सफेदपोशों का संरक्षण मिला हुआ है, जिसके चलते वह सरकार व पुलिस महकमे को भी खुला चैलेंज देते हुए अवैध खनन का काला कारोबार कर रहे है? यह भी आशंकाएं उठ रही है कि इलाके में एक व्यक्ति भंडारण की आड़ में अवैध खनन का माल अपने यहां एकत्र कर रहा है लेकिन खनन महकमा इसकी जांच करने के लिए आगे आने को तैयार नजर नहीं आ रहा, जो उसकी मंशा पर भी सवाल उठा रहा है? गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व राज्य के एक तत्कालीन डीजीपी ने अवैध खनन माफियाओं पर नकेल लगाने के लिए सभी जिलों की नदियों के एंट्री व बाहर जाने वाले रास्तों पर पीएसी तैनात की थी जिससे नदियों से एक पत्थर भी चोरी करना खनन माफियाओं के बस में नहीं था। हालांकि आज के इस दौर में ऐसी व्यवस्था लागू करने के लिए सरकार या डीजीपी क्यों आगे नहीं आते यह हैरान करने वाली बात है?