प्रभु राम को विश्वमित्र के मांगने के प्रसंग पर भर आई हजारों आंखे
शिव पात्र व कुपात्र को नही देखता:ः मोरारी बापू
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सभी स्वीकार करे :ः मोरारी बापू
उत्तरकशी। (चिरंजीव सेमवाल)। भगवान काशी विश्वनाथ व गंगा जी के तट पर उत्तरकशी ज्ञानसू में नौ दिवसीय श्री राम कथा में विश्व मित्र के द्वारा राजा दशरथ से प्रभु राम को मांगने पर दशरथ ने कहा की सब कुछ मांगों पर राम को नही राम मेरा प्राण है। बाद में वशिष्ट जी के समझाने पर दशरथ तैयार हो गये। इस प्रसंग से पंडाल में राम कथा का रसपान कर रहे लोग ही भावुक नही हुये बल्कि कथा के प्रवचन कर रहे पूज्य संत मोरारी बापू के आंखे भी भर आई। बापू ने कहा कि जब राम विश्वमित्र के साथ आ गये तब विश्वमित्र कहते है कि आज तक में अनाथ था, अब में प्रभु राम कृपा से सनाथ हो गया हूं। व्रिप धेनु सुर संत हिताऐ प्रभु राम ब्राह्मण,गाय, देवता,और साधुसंतों के रक्षा के लिये ही प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था। इस दौरान बापू ने कहा कि शिव भैरव आनंद का रूप है शिव के शरण में जो भी जायेगा बर देता ह वह चाहिए पात्र हो या कुपात्र हो। उन्होंने कहा कि से शास्त्र संगत तो नही लेकिन शिव दृष्टि में सर्वत्र जीव में ब्रहमतत्वा दिखाई देता है। नके पास जो भी जायेगा उनमें शिव दर्शन ही करते है क्योंकि भगवान स्वयं गुणातीत है जिसमें जीव गुणातीत ही दिखाई देता है। कथा के पंडाल मैं
मोरारी बापू ने
देश वासियों से अपील करते हुये सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करे ,देश मैं एकता और अंखडता व शांतिपूर्ण बनाये रखे।। बापू ने उत्तरकाशी ज्ञानसू मै श्री राम कथा मैं प्रवचन करने की शुरूआत श्री राम मंदिर के फैसले से किया है। उन्होंने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट पर दोनों पक्षों को भरोसा रखना चाहिए।