राम नाम के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा ::   मोरारी बापू।।               शंकर पूर्ण भैरव ही हैः मोरारी बापू।

राम नाम के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा ::   मोरारी बापू।।              


शंकर पूर्ण भैरव ही हैः मोरारी बापू।उत्तरकाशी (चिरंजी सेमवाल )। उत्तरकाशी गंगा जी के  तट पर चल रही श्री राम कथा के सातवें दिन विश्व विख्यात कथावाचक मोरारी बापू ने प्रबचन करते हुये कहा कि काल भैरव अष्टक है और शंकर का पूर्ण रूप भैरव है। जीव का कल्याण करने वाला भी भैरव है। उन्होंने कहा कि विवके में भंगवान शंकर का नाम सबसे पहले है। 
शुक्रवार को श्री राम कथा का प्रबचन करते हुये मोरारी बापू ने कहा कि विनय पत्रिका में तुलसी दास जी ने कहा कि रामचारित मानस एक कल्प वृक्ष है। कल्प वृक्ष से जिस प्रकार सभी इच्छाये पूरी हो जाती है,उसी प्रकार रामचारित मानस में जीव को आर्दश मार्ग पर चलना सीखाती है। उन्होंने राम चरित मानस को महामंत्र भी कहा गया हैं। राम नाम के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है। उन्होंने कहा कि सत्य के मार्ग पर चलने से मनुष्य का जीवन धन्य और सुखमय हो जाता है। मोरारी बापू ने कहा कि जब वह नौ वर्ष के थे तो मेरे पुज्य दादा जी ऋषिकेश स्थित कैलाश आश्रम के षष्टम पीठाधीश के रूप मुझे मानस रस सिखाते थे,जिसके परिणाम स्वरूप मैने 14 वर्ष में पहली रामकथा की थी। उन्होंने कहा कि कैलशा आश्रम की एक शाखा उत्तरकाशी में भी है जहां मेरे दादा आते जाते थे। उनका उत्तरकाशी से विशेष लगाव है। इस अवसर उन्होंने राम जन्म की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को भक्तिमय कर डाला। कथा समाप्ति के बाद रोजना की भांति सभी श्रद्धालुओं को कथा के आयोजक बाजोरिया परिवार की ओर से  हजारों रामभक्तों ने भोजन प्रसाद ग्रहण कराया गया।