संघ आंदोलन नहीं करता, "मनुष्य निर्माण करता::मोहन भागवत

संघ आंदोलन नहीं करता, "मनुष्य निर्माण करता::मोहन भागवत


उत्तरकाशी। आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने आज कहा कि आरएसएस आंदोलन नहीं करता, "मनुष्य निर्माण" करता है। कई लोग इससे सहमत नहीं होंगे और कई लोग इसे डिप्लोमैटिक जवाब मानेंगे, पर आरएसएस को जितना मैं समझ पाया हूँ, उससे मुझे लगता है कि उन्होंने बिल्कुल सही कहा है और अपनी इसी नीति के कारण आरएसएस आज इतना सफल संगठन है। 


अगर आरएसएस सीधे तौर पर राजनीति में होता या छोटे-मोटे आंदोलनों में अपनी ऊर्जा खपाता रहता, तो अलोकप्रिय होकर खत्म हो जाता, जैसे कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियां खात्मे के कगार पर हैं। लेकिन उसने अपनी एक विशुद्ध भारतीय विचारधारा तय की और उस विचारधारा पर चलने वाले लोग तैयार किये। इसीलिए उसकी धारा आज भी गंगा की तरह अविरल बह रही है। पिछले 70 साल में मार्क्सवाद, गांधीवाद, समाजवाद आदि सभी विचारधाराएं लगातार क्षरित होती रहीं, लेकिन आरएसएस का राष्ट्रवाद लगातार आगे की यात्रा तय कर रहा है।


आरएसएस ने भारतीय राजनीति में दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नरेंद्र मोदी और ऐसे अनगिनत नेताओं को आगे किया और उसके बड़े-बड़े नेता स्वयं पीछे रहे। समय-समय पर उसने अपना दिल बड़ा करके नेहरू, शास्त्री, इंदिरा और जयप्रकाश नारायण जैसे संघ परिवार से बाहर के नेताओं को भी समर्थन दिया। उसे बहुतों ने अछूत बनाने की कोशिश की, लेकिन उसने किसी को अछूत नहीं बनाया। हाल-फिलहाल उसने प्रणब मुखर्जी तक को सम्मान दिया।


जब विचारधारा के प्रति ऐसा समर्पण हो और भाव तपस्या का हो, तभी किसी संगठन को यह उंचाई मिलती है, जो आज आरएसएस ने हासिल की है। मुझे लगता है कि अगर आरएसएस इसी नीति पर चलता रहा और उसके नेता इसी तरह अपनी महत्वाकांक्षाओं को काबू रखने में कामयाब रहे, तो आरएसएस बीजेपी के बाद भी इसी तरह प्रासंगिक बना रहेगा। जब बीजेपी के दिन ढलेंगे तो उसकी "मनुष्य-निर्माण" प्रक्रिया से निकले दूसरे लोग दूसरा संगठन खड़ा कर लेंगे।


वैसे भाजपा-समर्थक और विरोधी दोनों मस्त रहें, क्योंकि 2014 से जो बीजेपी का वैभव काल शुरू हुआ है, वह अगले 15-20 साल तो बिल्कुल भी ढलने वाला नहीं है।