उत्तराखंड मैं जीरो टॉलरेंस, सविंदा संविदा कर्मी 8 साल से तनख्वाह ले रही पहाड़ की नौकरी कर रही हरिद्वार।।
उत्तरकाशी । टिहरी जनपद के विकासखण्ड भिलंगना के चमियाला बाजार में स्थित राजकीय विकलांग कर्मशाला प्रशिक्षण एवं उत्पादन में कई सालों से कर्मचारियों का टोटा है।
दिव्यांगो के जीवन स्तर को बेहतर बनाये रखने के लिए यह संस्थान कार्य करता है, उनको प्रशिक्षण देता है।
लेकिन हैरानी इस बात को लेकर है कि कुल स्वीकृत 14 पदों में से वर्तमान में यहाँ पर केवल 4 कर्मचारी कार्यरत है।
जिनमे एक अधीक्षक (चार्ज पर), एक प्रशिक्षक , एक कंपाउंडर (सविंदा ) तथा एक चतुर्थ श्रेणी मात्र है।
अधीक्षक भूपेंद्र सिंह महर भी यहां चार्ज पर है असल मे वह केमरा में स्थित छात्रावास के अधीक्षक है।
यहाँ प्रशिक्षक के पद पर तैनात प्रभाती प्रसाद उनियाल का भी ट्रांसफर हो चुका है , वह भी फिलहाल 31 दिसंबर 19 तक यहां अटैच है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि यहां पर डाटा एंट्री ऑपरेटर/सेल्समेन के पद पर संविदा पर तैनात विनीता देवी वर्ष 2011 से हरिद्वार तैैनात है।
मतलब साफ है तनख्वाह पहाड़ में कार्य करने के नाम पर और
नौकरी कर रहे है शहर है। जबकि यह संविदा का पद है और उनकी 2011 से इसी कार्यलय के नाम से लगातार वेतन जारी होती आ रही है।
मामले की जब उनसे जानकारी लेनी चाहिए तो इनका कहना था कि इनकी अपनी पारिवारिक समस्या है।
जब उनसे पूछा गया कि आप उक्त जगह अपना ट्रांसफर ही करवा दो तो वह उल्लटे ही सवाल पूछने लगी, साथ ही साथ यह भी हक़ जताने लगी कि वह भी एक गढ़वाली है।
अब सवाल यही से बड़ा हो जाता है की आप तो गढ़वाली हो फिर तो आपको यहाँ की समस्याओ की ज्यादा जानकारी होगी।
और उस वक़्त यहाँ की स्थिति -परिस्थिति को भली भांति जानकर समझकर ही आपने इस कार्य को चुना होगा। अब फिर इस स्थान से मोहभंग क्यो।
अब ऐसा लगता है कि हरिद्वार में 8 साल से ज्यादा समय डटे रहने के बाद मैडम साहेब अपने आप को ही समाज कल्याण का अधिकार समझने लगी है।
और स्वाभाविक है कि जब हरिद्वार में जमे है तो बड़े नेताओं व अधिकारियों का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।
एक तरफ कर्मचारियों के लिए सालों से यह कर्मशाला तरस रहा है ऊपर से जिन्हें यहाँ संविदा पे भी रखा गया वह हरिद्वार जैसी जगह में अपना आशियाना तलास दे रहे है।
वर्तमान में यहां पर टीचडीसी के सहयोग से बैकरी व्यवसाय का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
अधीक्षक भूपेंद्र सिंह मेहर ने बताया कि वर्तमान में यहाँ पर 12 दिव्यांग प्रशिक्षु आवाशीय वाले तथा 07 अनावसीय सुविधा का लाभ ले रहे है ।
यहाँ पर रसोईया एवं कहार का पद ही रिक्त है।
ऐसे में कैसे दिव्यांग जनों का भोजन बनता होगा यह भी एक बड़ा सवाल है।
14 कर्मचारियों के स्थान पर मात्र दो कर्मचारियों के भरोसे है यह संस्थान
ऐसे में कैसे दिव्यांगजनो का भला होगा यह एक बड़ा सवाल है। (राज सत्ता)