बसंत ऋतु को माना जाता है ऋतुराज इस बार वंसन्त पंचमी  29 को  ।।       :: चिरंजीव सेमवाल::
 

बसंत ऋतु को माना जाता है ऋतुराज इस बार वंसन्त पंचमी  29 को  ।।
      :: चिरंजीव सेमवाल::


बसंत पंचमी भारतीय त्योहारों में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। ज्योतिषीय दृष्टकोण से वर्षभर में जितने पर्व आतें हैं उन पर्वों में से तीन महत्वपूर्ण पर माने गए हैं  अक्षयतृतीया, दशहरा और बसंत पंचमी।  ये तीनों पर्व अभिजीत पर्व माने गए हैं। इस वर्ष वंसन्तपंचमी 29 और 30 जनवरी दो दिन पड़ रही है। पंचमी 29 तारीक बुधबार को सुबह 10 बजके 46 मिनट से शुरू हो जाएगी जो अगले दिन 30 जनवरी गुरुबार को दिन 1 बजकर  20 मिनट तक रहेगी। जिस कारण लोगों में भ्रांति है कि 29 को या 30 को किस दिन बसंत पंचमी मनायी जाएगी ? तो इस पर लोगों की भ्रांति दूर करने के लिये  ज्योतिषाचार्य डॉक्टर रमेश चंद्र पाण्डेय ने शास्त्रोक्त प्रमाण देकर कहना है कि  निर्णय सिंधु और धर्मसिंधु  के हेमाद्रि मतानुसार कृष्णा पूर्वयुता , सिता परयुता स्यात् पंचमी। और पंचमी तु प्रकर्तव्या षष्ट्या युक्ता तु नारदः। अर्थात कृष्ण पक्ष की पंचमी चतुर्थी तिथियुक्त और शुक्लपक्ष की पंचमी षष्ठीयुक्त शुभ मानी गयी है। दूसरे मत के अनुसार भी षष्ठीयुक्त पंचमी ही ग्राह्य है। और उदयकाल की पंचमी भी 30 जनवरी को ही पड़ रही है साथ में गुरुबार होने पर 30 को बसंत पंचमी मनानी अत्यंत शुभ रहेगी।

बसंत पंचमी 2020 में कब है? इस साल यह पर्व 29 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस पर्व को मुख्य रूप से बसंत यानि नई फसलों या पेड़ों पर फूल आने का दिन माना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार पूरे वर्ष को छह ऋतुओं में बांटा गया है। ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु, वर्षा ऋतु और वसंत ऋतु। विकिपीडिया
अनुपालन: पूजा व सामाजिक कार्यक्रम
अवकाश प्रकार : धार्मिक उत्सव
तारीख: बुधवार, 29 जनवरी 2020
समान पर्व:।

 

वसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर पूजा-अर्चना करती हैं। पूरे साल को जिन छः मौसमों में बाँटा गया है, उनमें वसंत लोगों का मनचाहा मौसम है।

जब फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगती हैं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाती है और हर तरफ तितलियाँ मँडराने लगती हैं, तब वसंत पंचमी का त्योहार आता है। इसे ऋषि पंचमी भी कहते हैं।




 


वसंत पंचमी की कथा : सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छि़ड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा।

सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पचंमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। इस कारण हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है







बसंत पंचमी पर निबंध




हमारे देश में बसंत पंचमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती देवी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। पुरातन युग में, इस दिन राजा सामंतों के साथ हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुँचते थे। वहाँ धिपूर्वक कामदेव की पूजा की जाती थी और देवताओं पर अन्न की बालियाँ चढ़ाई जाती थीं।बसंत पंचमी पर हमारी फसलें-गेहूँ, जौ, चना आदि तैयार हो जाती हैं इसलिए इसकी खुशी में हम बसंत पंचमी का त्योहार मनाते हैं। संध्या के समय बसंत का मेला लगता है जिसमें लोग परस्पर एक-दूसरे के गले से लगकर आपस में स्नेह, मेल-जोल तथा आनंद का प्रदर्शन करते हैं। कहीं-कहीं पर बसंती रंग की पतंगें उड़ाने का कार्यक्रम बड़ा ही रोचक होता है। इस पर्व पर लोग बसंती कपड़े पहनते हैं और बसंती रंग का भोजन करते हैं तथा मिठाइयाँ बाँटते हैं।बसंत पंचमी पर हमारी फसलें-गेहूँ, जौ, चना आदि तैयार हो जाती हैं इसलिए इसकी खुशी में हम बसंत पंचमी का त्योहार मनाते हैं। संध्या के समय बसंत का मेला लगता है जिसमें लोग परस्पर एक-दूसरे के गले से लगकर आपस में स्नेह, मेल-जोल तथा आनंद का प्रदर्शन करते हैं। कहीं-कहीं पर बसंती रंग की पतंगें उड़ाने का कार्यक्रम बड़ा ही रोचक होता है। इस पर्व पर लोग बसंती कपड़े पहनते हैं और बसंती रंग का भोजन करते हैं तथा मिठाइयाँ बाँटते हैं।