कुदरत की सफेद आफत उत्तरकाशी की आधी आबादी अंदेरे मैं, बंद सड़कों ने बढाई लोगों की मुश्किलें।।
जिले की 53 पेयजल योजना बर्फबारी से क्षतिग्रस्त ,जिला प्रशासन बोले
युद्ध स्तर से कर चल रहा है कार्य।।
चिरंजीव सेमवाल।।
उत्तरकाशी 10 जनवरी। जिले में इस बार पांच दिनों तक हुई भारी बर्फबारी के बाद भले धूप खिल गई हो ,लेकिन जिले की आधी आबादी अभी भी बिजली पानी और सड़क के लिए तरस रहे हैं। यहां जनजीवन को पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है। स्थानीय लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। वहीं, विभाग के लिए ऊंचाई वाले इलाकों में बिजली आपूर्ति बहाल करना चुनौती बना हुआ है। यहां मोरी के सिगतूर पटी के 40 गांव , आराकोट बंगाण क्षेत्र ,नौगांव के ओजरी,रानागीठ, पुरोला के सरबडियार, भटवाड़ी के हर्षिल,धराली क्षेत्र मैं ऐसे सैकड़ों गांव हैं जहां दो से तीन फीट बर्फबारी हो रखी हैं। विधुत विभाग ने वीरवार सुबह से बिजली आपूर्ति बहाली के लिए काम तो शुरू कर दिया, लेकिन दूरस्थ गांव में बिजली को बहाल करने में विभाग को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इधर जिला प्रशासन ने बताया कि जल्द ही जिला मुख्यालय के आसपास के इलाकों में विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी.। साथ ही दूरस्थ इलाकों में बर्फबारी के कारण विभाग अभी आपूर्ति को लेकर जवाब देने से बच रहा है। क्योंकि भारी बर्फबारी के बीच में विद्युत आपूर्ति को बहाल करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। आपदा प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक जिले की जहां आदी आबादी अंदेरे मैं हैं तो 53 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो रखी हैं इन मैं मोर की 13 योजनाएं ओला की 6 नौगांव की 14 और भटवाड़ी ब्लॉक की 19 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो रखी है। जिसको ठीक करने मैं लंबा वक्त लग सकता है वहीं जिला प्रशासन ने बताया कि मार्ग खोलने और विद्युत आपूर्ति बहाल करने का कार्य युद्ध स्तर से चल रहा है एक-दो दिन में व्यवस्थाएं पटरी पर लौट सकती हैं।
इधर गीठपट्टी के महावीर सिंह पँवार ने बताया कि अति दुर्गम क्षेत्रों मैं
सरकार को ग्रामीणों की मदद करनी चाहिए
उत्तराखण्ड सरकार को प्रदेश के सभी पर्वतीय क्षेत्रों में तत्काल आवश्यक मुलभुत सुविधाएं मुहैया करवानी चाहिए, जहाँ जहाँ पर रिकार्डतोड़ बर्फबारी से ऊपरी हिस्से के ग्रामीणों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है , नलों में पानी शून्य तापमान से नीचे होने पर जमने की वजह से बंद हो गया है, वहीं पशुओं के लिए पानी और चारा देना और साथ साथ खाद्य सामग्री की समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं , क्योंकि ग्रामीणों का बाजारों और जिला मुख्यालय से सम्पर्क पूरी तरह से कटा हुआ है ,घरों से बाहर निकल पाना मुश्किल हो रखा है,ऐसे में अगर कोई व्यक्ति बीमार हो गया तो पशु की मौत मरने को मजबुर होगें।।