सुरेंद्र पुरी की प्रथम पुण्य स्मृति में श्रद्धांजलि देने  उमड़ा जनसैलाब।। स्वर्गीय पुरी के स्मृति में   नगर का मार्ग होगा : रमेश  सेमवाल     ll  ::चिरंजीव सेमवाल::

 


सुरेंद्र पुरी की प्रथम पुण्य स्मृति में श्रद्धांजलि देने  उमड़ा जनसैलाब।।



स्वर्गीय पुरी के स्मृति में   नगर का मार्ग होगा : रमेश  सेमवाल     ll


 ::चिरंजीव सेमवाल::


उत्तरकाशी। वरिष्ठ पत्रकार , रंगकर्मी व समाज सेवक स्व. सुरेंद्र पुरी की प्रथम पुंयतिथि पर चमाला की चौंरी सभागार  में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।  मंगलवार को बाड़ाहाट चमाला की चौंरी मैं  सुरेंद्र पुरी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर  श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि सभा का शुभारंभ स्व० सुरेंद पुरी की  माता श्रीमती कृष्णा पुरी ने दीप प्रज्वलित कर नमः आंखों से अपने कलेजे के टुकड़े को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान नगर पालिका बाड़ाहाट के अध्यक्ष रमेश सेमवाल ने सुरेंद्र पुरी के चित्र पर पुष्प  अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। पालिका अध्यक्ष श्री सेमवाल  ने कहा कि सुरेंद्र पुरी को आज याद करना इस लिए भी जरुरी है कि उनकी प्रेरणा लेकर  हम       जनसरकारों एवं सांस्कृतिक सरकारों का  निर्भीक पत्रकारिता करते थे। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी बाड़ाहाट के परंपराओं को पुनर्जीवित करने मैं जो ऊर्जा पुरी जी ने लगाई थी उसी का प्रणाम है कि आज उत्तरकाशी की पालिका बड़ाहाट के नाम से जाना जाता है । उन्होंने स्थानीय  लोगों के सुझाव पर सुरेंद्र पुरी के नाम पर  बड़ाहाट नगर पालिका के अंतर्गत किसी मार्ग  रखने की भी घोषणा की है।
 इस मौके पर  डॉ रामचंद्र उनियाल,  बड़ाहाट समिति के अध्यक्ष रमेश सेमवाल  बुद्धि सिंह पंवार,  प्रेस क्लब के महासचिव  चिरंजीव सेमवाल,मदन मोहन बिजल्वाण,  ओम बधाणी,  पूर्व पालिका अध्यक्ष सुधा गुप्ता दिवाकर भट्ट लोक गायक ओम बधाणी, अमेरिकन पुरी आदि लोगों ने संबोधित करते हुए कहा कि स्वर्गीय सुरेंद्र पुरी  सामाजिक- सांस्कृतिक सक्रियता और सृजनात्मकता हमेशा मौजूद रही। उन्हें अपने समाज और संस्कृतिक के प्रति गहरा प्रेम था यह इसी की परिणति है  ’’बाड़ाहाट का पौराणिक थौलू’’ को पुर्नस्थापित करना, और पिछले कई वर्षो से मकरैणी के दिन से लगातार एक सप्ताह तक बाड़ाहाट का थौलू को पौराणिक रीति -रिवाज के साथ आयोजित करते आ रहे थे। किसी भी कार्य को करने की उनके अन्दर गजब की उर्जा थी, काम करते हुए मैने उन्हें कभी थकते हुए नही देखा।
वर्तमान दौर में बहुत कम व्यक्ति ऐसे होते है जो सही को सही एंव गलत को गलत  कहने का साहस कर पाते है। सुरेन्द्र के व्यक्तित्व में यह गुण कुट-कुट कर भरा था। यदि कोई गलत करता तो वह उसका भरपूर विरोध् करता था,चाहे वह उसका कितना करीबी क्यो न हो। वर्तमान समय में सही को सही एंव गलत को गलत कहना बड़े साहस का काम है, क्योकि चारों ओर चाटुकारिता का जंगल विस्तार लेता जा रहा है। सुरेन्द्र हमेशा जनतांत्रिक मुद्दों पर सार्थक बहस करते थे। संास्कृतिक पुर्नउ,त्थान जनंतत्रा का मूल मंत्रा भी  है और उदेश्य भी। सांस्कृति हमें अपनी जड़ांे की ओर ले जाने का कार्य करती है। यदि हमारी जड़े मजबूत होगी, तो हमारी सामाजिक एवं राजनीतिक चेतना भी सुदृढ़ होगी, यह सब कुछ जानते समझते हुए सुरेन्द्र सांस्कृतिक सरोकारों को सुदृढ़ करने के लिए लगातार कार्य कर रहे थे। सामाजिक एंव सांस्कृतिक सरोकारांे के लिए समर्पित संस्था‘‘पहाड‘‘ के विभिन्न आयोजनों में खासकर देवी- देवताओं के कार्यक्रमों में सुरेन्द्र पुरी प्रतिभाग करते रहते थे, इससे उनकी सामाजिक एवं सांस्कृतिक चेतना में उतरोत्तर वृद्वि होती गई। पत्राकारिता और रंगमंच उनके पंसदीदा विषय थे। वे समाजिक जागरूक थे, और उनके अन्दर समाज के बदलने का जुनून मौजूद था। सुरेन्द्र जी आशावादिता सामाजिक सरोकारों से जुडी थी। समाज से ही उन्हें उर्जा मिलती थी । कठिन दौर में भी उनके अन्दर की सामाजिक सक्रियता एंव सृजनात्मकता जीवित रहती थी और वे अपने सपनों में अनुरुप कार्य करने के लिए सदा तत्पर रहते थे। प्रतिरोध् जन संस्कृति की रीड होती है, इसमें आम लोगांे की चाहत सुख-दुख, सपने और संघर्ष समाहित होते है, सुरेन्द्र इसी प्रतिरोध् की संस्कृति के सिपाही थे। श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ पत्रकार पंकज गुप्ता , शंकर दत्त  घिल्डियाल, गुलाब सिंह नेगी, खुशाल सिंह पंवार, विष्णु पाल सिंह रावत, सुमित्रा पंवार ,चंद्री चौहान, कुलवंती डंगवाल, राकेश डंगवाल , रिलायंस फाउंडेशन के  कमलेश गुरानी, अजय पुरी , जिला युवा कल्याण अधिकारी  विजय प्रताप भंडारी ,अजय बडोला, प्रताप सिंह संघर्ष, सहित सैकड़ों लोगों ने स्वर्गीय सुरेंद्र पुरी को श्रद्धांजलि अर्पित की ।