चारधाम देवस्थानम एक्ट पर सरकार की बढ़ी मुश्किलें , हाईकोर्ट से नोटिस जारी तीन सप्ताह में मांगा जबाव ।।
चारधाम देवस्थानम एक्ट पर सरकार की बढ़ी मुश्किलें , हाईकोर्ट से नोटिस जारी तीन सप्ताह में मांगा जबाव ।।
नैनीताल/ उत्तरकाशी। चारधाम देवस्थानम एक्ट में सारी पॉवर सरकार के पास होने को भाजपा सांसद सुब्रामण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मंगलवार को नैैैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष आज इस पर सुनवाई हुई। जिससे लग रहा है कि चारधाम देवस्थानम एक्ट सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। आज हाईकोर्ट नैनीताल ने पूरे मामले पर सुनवाई कर केंद्र सरकार, राज्य सरकार व सीईओ चारधाम देवस्थानम बोर्ड को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि तीन हफ्तों के भीतर सभी पक्षकार अपना जवाब दाखिल करें। सुनवाई के दौरान आज याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट के सामने कहा कि कल रात ही बोर्ड के सीईओ को नियुक्त किया गया है।
लिहाजा जब तक इस पूरे मामले की सुनवाई जारी है। तब तक किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने सरकार से इस मामले पर भी जवाब दाखिल करने को कहा है। बता दें कि राज्य सरकार ने चारधाम देवस्थानम एक्ट पास किया था। जिसमें 51 मंदिरों को शामिल किया था। इसका पंडा-पुरोहितों ने भारी विरोध किया था।
अब हाईकोर्ट में सरकार के एक्ट को बीजेपी के राज्यसभा सांसद ने ही चुनौती देते हुए कहा है कि राज्य सरकार का यह एक्ट असंवैधानिक है और सुप्रीम कोर्ट के 2014 के आदेश का उलंघन भी करता है। याचिका में कहा गया है कि सरकार को मंदिर चलाने का कोई अधिकार नहीं है। मंदिर को भक्त या फिर उनके लोग ही चला सकते हैं। लिहाजा सरकार के एक्ट को निरस्त किया जाए।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि स्वामी ने राजनीति से प्रेरित होकर प्रचार के लिये ये जनहित याचिका दाखिल की है जिस पर कोर्ट में सरकार की किरकिरी भी हुई।
नैनीताल/ देहरादून ,। त्रिवेंद्र सरकार को भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने झटका दे ही दिया, जिसकी लंबे समय से चर्चा भी चल रही थी। मंगलवार को नैनीताल उच्च न्यायालय मैं देवस्थानम बोर्ड को चुनौती देने पहुंचे उनके साथ मैं गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल भी मौजूद रहे हैं।
बता दे कि राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों ने मामले में उनकी वकालत करने की गुजारिश की थी। स्वामी पहले भी केरला के एक मामले में इसी तरह से सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में अपने तर्कों से पलट चुके हैं। इससे तय माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र सरकार को हाईकोर्ट से तो झटका लगेगा ही, सुप्रीम कोर्ट से भी सुप्रीम झटका लगने के आसार लगाए जा रहे हैं।
राज्यसभा सदस्य और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से उत्तराखंड हाईकोर्ट में देवस्थानम अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर की गई है। उन्होंने अधिनियम को असंवैधानिक और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताते हुए निरस्त करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है। स्वामी ने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में साफ कहा है कि सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। वित्तीय गड़बड़ी होने पर सरकार अल्पकालिक प्रबंधन ले सकती है। सुधार के बाद सरकार को प्रबंधन वापह सौंपना होता है। उन्होंने साफ कहा कि मंदिर का संचालन सरकार का काम नहीं बल्कि भक्त और हक हकूकधारियों का है।
देवस्थानम अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर होने से सरकार की परेशानी बढ़नी तय है। चारों धामों के मंदिरों का श्राइन बोर्ड की तर्ज पर प्रबंधन करने के लिए सरकार यह अधिनियम लेकर आई थी। तीर्थ पुरोहित महापंचायत देवस्थानम अधिनियम का पहले दिन से ही विरोध कर रही है। सरकार ने कल ही देवस्थानम बोर्ड का पहला सीईओ भी तैनात किया था। स्वामी ने सरकार को याचिका दायर करने से पहले ही चेतया था, लेकिन सीएम त्रिवेंद्र रावत अपनी जिद्द पर अड़े रहे।
/ देहरादून ,। त्रिवेंद्र सरकार को भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने झटका दे ही दिया, जिसकी लंबे समय से चर्चा भी चल रही थी। मंगलवार को नैनीताल उच्च न्यायालय मैं देवस्थानम बोर्ड को चुनौती देने पहुंचे उनके साथ मैं गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल भी मौजूद रहे हैं।
बता दे कि राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों ने मामले में उनकी वकालत करने की गुजारिश की थी। स्वामी पहले भी केरला के एक मामले में इसी तरह से सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में अपने तर्कों से पलट चुके हैं। इससे तय माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र सरकार को हाईकोर्ट से तो झटका लगेगा ही, सुप्रीम कोर्ट से भी सुप्रीम झटका लगने के आसार लगाए जा रहे हैं।
राज्यसभा सदस्य और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से उत्तराखंड हाईकोर्ट में देवस्थानम अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर की गई है। उन्होंने अधिनियम को असंवैधानिक और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताते हुए निरस्त करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है। स्वामी ने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में साफ कहा है कि सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। वित्तीय गड़बड़ी होने पर सरकार अल्पकालिक प्रबंधन ले सकती है। सुधार के बाद सरकार को प्रबंधन वापह सौंपना होता है। उन्होंने साफ कहा कि मंदिर का संचालन सरकार का काम नहीं बल्कि भक्त और हक हकूकधारियों का है।
देवस्थानम अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर होने से सरकार की परेशानी बढ़नी तय है। चारों धामों के मंदिरों का श्राइन बोर्ड की तर्ज पर प्रबंधन करने के लिए सरकार यह अधिनियम लेकर आई थी। तीर्थ पुरोहित महापंचायत देवस्थानम अधिनियम का पहले दिन से ही विरोध कर रही है। सरकार ने कल ही देवस्थानम बोर्ड का पहला सीईओ भी तैनात किया था। स्वामी ने सरकार को याचिका दायर करने से पहले ही चेतया था, लेकिन सीएम त्रिवेंद्र रावत अपनी जिद्द पर अड़े रहे।