महाशिवरात्रि व्रत 21 फरवरी को, 117 साल बाद बन रहा है ग्रहों का दुर्लभ संयोग।।
विष योग बनने से दूर होंगे सारे कष्ट,सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग बन रहे इस बार।।
::चिरंजीव सेमवाल::
उत्तरकाशी,18 फरवरी। इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 21 फरवरी को मनाया जाएगा। 117 साल बाद ग्रहों का बहुत दुर्लभ संयोग बन रहा है इस योग में शिव पूजा करने पर शनि गुरु शुक्र चंद्रमा एवं शनि के कुंडली में खराब योग से मुक्ति तो मिलेगी ही साथ ही इस दिन सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है।
उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जो इस बार 21 फरवरी की रात्रि को पड़ रहा है ।
इस दिन सायंकाल 5:25 से चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी जो रात भर रहेगी यद्यपि दिन भर से त्रयोदशी है परंतु महाशिवरात्रि का पर्व रात्रि भैया अपनी चतुर्दशी में ही मनाने का शास्त्रीय विधान है । इसलिए व्रत 21 फरवरी को ही रखा जाएगा जब सूर्य कुंभ राशि और चंद्रमा मकर राशि में होता है सब फाल्गुन कृष्ण पक्ष में इस महापर्व को मनाया जाता है।
राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आईडीपीएल में संस्कृत के प्रवक्ता डॉक्टर घिल्डियाल बताते हैं कि इस बार 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ संयोग शिवरात्रि पर बन रहा है। 25 फरवरी 1903 के बाद यह संयोग बन रहा है जब भोग विलास का ग्रह शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में तथा शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में रहेगा इसे ज्योतिष में एक दुर्लभ संयोग माना जाता है। इस साल खास बात यह भी है कि देव गुरु बृहस्पति भी अपनी स्वराशि धनु में स्थित रहेंगे इस योग में भगवान शिव की तन मन धन से पूजा करने पर शनि गुरु शुक्र के कुंडली में कितने भी खराब योग हो उन से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग भी रहेगा पूजन के लिए और नए कार्यों की शुरुआत करने के लिए यह योग बहुत ही शुभ माना गया है।
विष योग से दूर होंगे सारे कष्ट
मुख्यमंत्री द्वारा ज्योतिष वैज्ञानिक की उपाधि से सम्मानित ज्योतिषाचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल आगे बताते हैं कि इस दिन एक और दुर्लभ संयोग है कि शनि और चंद्रमा एक साथ रहने से विष योग बना रहे हैं। धनु राशि में इनका एक साथ रहना 28 साल पहले 2 मार्च सन 19 92 मैं ऐसा संयोग बना था इस योग में शनि और चंद्रमा के लिए विशेष पूजा करनी चाहिए शिवरात्रि पर है योग बनने से शिव पूजा का और अधिक महत्व बढ़ गया है। कुंडली में शनि और चंद्रमा के दोष दूर करने के लिए शिव पूजा करने की सलाह दी जाती है बुधादित्य और सर्प योग भी इस दिन रहेंगे बुध और सूर्य कुंभ राशि में एक साथ रहेंगे इस वजह से बुध आदित्य योग बनेगा इसके अलावा इस दिन सभी ग्रह मिथुन राशि के राहु तथा धनु राशि के केतु के बीच आ रहे हैं इसलिए कालसर्प योग भी बन रहा है इसलिए कालसर्प दोष विष दोष पितृ दोष और असाध्य रोगों से मुक्ति के लिए इस बार शिवरात्रि वरदान साबित होगी.
अपनी राशि के अनुसार किस प्रकार करें पूजन
मेष राशि जल में कुमकुम डालकर भगवान शिव का अभिषेक करें वृष राशि स्टील के लोटे में दूध जल और चीनी मिलाकर मिथुन राशि बिल्वपत्र और काले तिलों से कर्क राशि स्टील के लोटे में दूध सफेद तिल और जल लेकर सिंह राशि तांबे के लोटे में कुमकुम से कन्या राशि स्टील के लोटे में दूध जल और काले तिल तुला राशि तांबे के लोटे में केवल जल और सफेद तिल वृश्चिक राशि धतूरा का पुष्प एवं फल दूध युक्त जल से धनु राशि दूर्वा बिल्वपत्र धतूरे से मकर राशि भांग बिल्वपत्र दूर्वा अनार के फलों से कुंभ राशि जल दूध काले तिल से मीन राशि हल्दी मिला हुआ जल दूध बिल्वपत्र आदि से करें।