उत्तरकाशी: शिवरात्रि पर्व पर बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी मेंं शिव बारात में उमडा जन सैलाब।।
जलाभिषेक को लगी लंबी कतारे , शिव बारात में रावण भी हुऐ शामिल ।।
::चिरंजीव सेमवाल::
उत्तरकाशी, । बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी में महापर्व शिवरात्रि के अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर सहित जिलेभर के शिवालयों मेंं जलाभिषेक को लेकर श्रद्धा का सैलाब उमड पडा है। बारिश व ठंड के बीच भी शिव भक्तों के उत्साह मेंं कोई कमी नहीं दिखी लोग घंटों लाईन पर अपनी बारी का इंतजार करते रहे हैं।
शुक्रवार को काशी विश्व नाथ मंदिर दुल्हन की तरह सजा हुआ था। पूरे प्रांगण को पंचगव्य से साफ किया गया। इस दौरान शिव पार्वती के विवाह उत्सव की शिव बारात से शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए काशी विश्व नाथ मंदिर पहुंची।
इसमें पहली बार रावण ने भी शिरकत किया। महाशिवरात्रि पर्व की तैयारियां गत दिनों से चल रही थी पिछले साल की तरह इस साल भी भगवान शिव के महापर्व शिवरात्रि को भव्य बनाने के लिए बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। स्कूली बच्चे भी धर्म और संस्कृति की को जानने के लिए पहली बार शिव बारात में शामिल हुऐ। स्कूली बच्चे शिव परिवार की झांकियां को निकालकर बारात की शोभा बढाया, साथ ही शिव बारात में भारी संख्या मेंं श्रद्धालु शामिल हुऐ। इससे पूर्व मंदिर के महेंत जयेंद्र पुरी ने शिव की विशेष पूजा अर्चना के बाद शिव बारात का आयोजन किया।शिव बारात में जनपद के विभिन्न गांव से आये लोगों ने शिरकत किया। जनपद के हर क्षेत्र के बाजगी समुदाय के ढोल दमाऊं शिव बारात में बारातियों का स्वागत किया। वहीं, स्कूली बच्चों की झांकियो को पुरस्कृत भी किया गया।
इस दौरान श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय के ऋषि कुमारों ने काशी विश्वनाथ रुद्रा अभिषेक कर शांति पाठ किया। शिव बारत को लेकर काशी विश्व नाथ प्रबंधन समिति महाशिवरात्रि को भव्य बनाने के लिए कई दिनों से तैयारी कर रहे थे। इस मौके पर गंगोत्री क्षेत्र के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, पालिका चेयरमैन रमेश सेमवाल सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों स्कूली छात्र-छात्राएं गोस्वामी गणेश दत्त के छात्र-छात्राएं ,भोटिया समुदाय, के लोग विभिन्न क्षेत्रों से आए महिला मंगल दलों ने पारंपारिक नृत्य कर शिव बारात की शोभा बढ़ाई। उधर यमुनाघाटी मेंं महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर कमलेश्वर महादेव मंदिर में भोले शिव की विशेष आरती और पूजा का आयोजन किया गया।
कलयुग मेंं उत्तरकाशी का विशेष महत्व।।
इयं उत्तरकाशी हि प्राणि नाः मुक्तिदायिनी ।
धन्य लोके महाभागः कलौयेशामिह स्थितिः ।।
उत्तरकाशी। पतित पावनी मां गंगा के उद्गम क्षेत्र उत्तरकाशी में सांस्कृतिक विविधता का समागम है। उत्तराखंड की यह तपोभूमि प्राचीन काल से ही सौम्यकाशी के नाम से जानी जाती है। गंगा से अस्सी गंगा व वरूणा नदियों के संगम स्थलों के बीच बसा पौराणिक बाड़ाहाट नगर वर्तमान में उत्तरकाशी के नाम से जाना जाता है। केदार खण्ड के मुताबिक वाराणसी से भी अधिक महत्वपूर्ण स्थान उत्तरकाशी का माना गया है, मोक्षदायनी गंगा केे उत्तर वाहिनी होने के कारण इसका अपना विशेष महत्व है। धार्मिक परम्परा के मुताबिक मान्यता यह भी है कि काशी के कोतवाल आनंद भैरव की पूजा केे बिना यहां किसी अन्य देवता की पूजा अधुरी मानी जाती है।
कलयुग में भगवान काशी विश्वनाथ स्वयंभू लिंग के रूप में विराजमान ।।
उत्तरकाशी। भगवान काशी विश्वनाथ के मंदिर देश में दो ही स्थानों पर मौजूद हैं। बनारस तो दूसरा उत्तरकाशी में स्थित है। पुराणों में उल्लेख है कि कलयुग में भगवान काशी विश्वनाथ स्वयंभू लिंग के रूप में उत्तरकाशी में विराजमान होगें।
बाबा काशी विश्वनाथ द्वादस ज्योतरिलिंग के रूप में यहां विराजमान हैं। कहा जाता है कि कलयुग में जो भी भगवान शिव की भूमि पर जन्म लेता है, वह मोक्ष को प्राप्त होता है।
मंदिर के महेंत जयेंद्र पुरी कहा कहाना है कि जो भक्त भगवान काशी विश्वनाथ की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है उसकी हर मनोकामना को पूर्ण होती है। उत्तरकाशी में भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान का स्वयंभू लिंग दक्षिण दिशा की ओर झुका हुआ है।