यमुनोत्री  को चाहे सत्ता में भागीदारी।।  मंत्रिमंडल की खाली 3 कुर्सियों पर  9 विधायकों की नजर, यमुनोत्री विधायक का पलड़ा  भारी।।   चिरंजीव सेमवाल

 


यमुनोत्री  को चाहे सत्ता में भागीदारी।।


 मंत्रिमंडल की खाली 3 कुर्सियों पर  9 विधायकों की नजर, यमुनोत्री विधायक का पलड़ा  भारी।।  


 

चिरंजीव सेमवाल

 

 


उत्तरकाशी,। त्रिवेंद्र रावत सरकार मेंं टिहरी लोकसभा सीट से एक भी मंत्री मेंं जगह न  मिलने से संगठन से लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं व विधायकों को भारी खटक रहा है। त्रिवेंद्र सरकार के तीन साल के कार्यकाल के पूरे होने पर के महज कुछ दिन शेष है। ऐसे मेंं मुख्यमंत्री पर मंत्रिमंडल को लेकर के विधायकों का दबाव पढ़ना लाजमी है दूसरी ओर सीएम रावत के विरोधी  भी सियासी उठक पटक  मैं लगे है।

 मंत्रिमंडल विस्तार की सूरत बनती है तो क्या गंगा यमुना के मायकेे को प्रतिनिधित्व मिलेगा? यह सवाल यहां के लोगों के मन में उठ रहा है। भाजपा राज में लंबे समय से इस सीमांत जिले से कोई मंत्री नहीं बना है। 2012 में कांग्रेस राज में यमुनोत्री से जीते निर्दलीय प्रीतम सिंह पंवार जरूर गठबंधन सरकार में मंत्री बन गए थे।

 

 बता दे कि राज्य बनने से पहले पूरे उत्तरकाशी जिले की एक विधानसभा सीट थी। तब पूरे उत्तराखंड में भी आज की तरह 70 नहीं, बल्कि सिर्फ 19 विधानसभा सीटें थीं। ब्रहादत्त, बरफिया लाल जुंवाठा, बलदेव सिंह आर्य, ज्ञानचंद्र जैसे कई नाम इस क्षेत्र के रहे हैं, जिन्होंने अलग अलग सरकारों में मंत्री पद हासिल किया। चाहे वह राज्य सरकार रही हो या फिर केंद्र सरकार। अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यह सिलसिला कमजोर पड़ा है। राज्य बनने के बाद हुए परिसीमन में उत्तरकाशी जिले में चार सीटें दिखती हैं। गंगोत्री, यमुनोत्री, पुरोला और धनोल्टी। इनमें से गंगोत्री यमुनोत्री भाजपा तो पुरोला कांग्रेस और धनोल्टी निर्दलीय के पास है। लेकिन धनोल्टी सीट अब टिहरी जनपद में है।

 

मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व दिये जाने को लेकर उत्तरकाशी क्षेत्र के अपने तर्क हैं। मसलन, सीमांत जिले को भाजपा राज में लंबे समय से प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। भाजपा इस जिले में हर चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है। इसके अलावा, टिहरी लोकसभा क्षेत्र से त्रिवेंद्र सरकार में इस समय कोई मंत्री नहीं है। उत्तरकाशी संपूर्ण जिला टिहरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है। मंत्री बनाने के सवाल पर विधायकों से लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं का एक ही जवाब है। वो ये कि यह तो पार्टी और मुख्यमंत्री को तय करना है लेकिन अनौपचारिक बातचीत में सब मानते हैं कि यदि सीमांत क्षेत्र के विकास और उसके सामरिक महत्व को देखते हुए बातें होती हैं, तो इसे मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व जरूर दिया जाना चाहिए। यहां भी विधित है कि राज्य बनने के बाद पहली बार यमुनोत्री सीट से भाजपा को केदार सिंह रावत ने जीत दिलाई है। इसके अलाओ यमुनोत्री विधायक श्री रावत के नाम पर को मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर के संगठन व कार्यकर्ताओं में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है की हिम्मत विधानसभा सीट गंगोत्री पुरोला धनोल्टी सहित मसूरीआदि सीटों पर भाजपा को लाभ मिलेगा। वही टिहरी संसदीय क्षेत्र को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व भी मिलेगा । सूत्रों की माने तो   उत्तरकाशी जनपद मैं मंत्रिमंडल मैं शामिल किया जाएगा तो सबसे पहले यमुनोत्री विधायक केदार सिंह रावत को मंत्रिमंडल में नाम जाना तय है।

हालांकि  बीते दिनों  भाजपा प्रदेश अध्यक्ष  बंशीधर भगत  उत्तरकाशी दौरे पर  पत्रकारों को बताया है कि  मंत्रिमंडल का विस्तार करना सीएम का विशेषाधिकार है।  यहां सरकार का  काम है  ,लेकिन  मेरा व्यक्तिगत  मानना है कि  अब 2022 के चुनाव के  विधानसभा चुनाव के लिए महज 2 वर्ष रह गए हैं । इसलिए  मंत्री पद की  खाली पड़े 3 पदों को  जल्द से जल्द  भर दिया जाना चाहिए। 

मंत्रिमंडल की खाली पड़ी 3 कुर्सियों पर विकास नगर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान ,राजपुर रोड से खजान दास कपकोट  से बलवंत  सिंह , साल्ट से  सुरेंद्र सिंह जीना, 

 बद्रीनाथ से विधायक  महेंद्र भट्ट, हरिद्वार ग्रामीण से  स्वामी यतीस्वरानंद यमुनोत्री से केदार रावत, गोपाल रावत आदि विधायक मंत्रिमंडल की दौड़़ में शामिल है।