फर्जी अनुभव व प्रमाण-पत्रों के आधर पर नियुक्ति पाने वाला प्रधानाचार्य को तीन साल की सजा ,साठ हजार जुर्माना ।।
उत्तरकाशी: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का आदेश महा महाविद्यालय को प्रतिकार के रूप मैं देगा 55 हजार रू ।।
(चिरंजीव सेमवाल)
उत्तरकाशी,4 मार्च। श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय उत्तरकाशी में फर्जी अनुभव व प्रमाण-पत्रों को के आधर पर नियुक्ति पाने वाले कैलाश चन्द्र हरबोला को बुधवार को उत्तरकाशी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दोषी करार देते हुए 3 साल की सजा और 60000 का जुर्माना ठोका है ।
उक्त जानकारी देते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उत्तरकाशी के वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी हरिश्चंद्र जोशी एवं रमेश प्रसाद भट्ट ने बताया कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले कैलाश चंद हरबोला को न्यायालय ने दोषी करार मानते हुए 420 में 3 साल की सजा और 50000 का जुर्माना तथा 471 मैं 1 वर्ष का कारावास और ₹10000 तथा महाविद्यालय उत्तरकाशी को ₹55000 प्रतिकार के रूप में देगा देने की सजा सुनाई है।
उल्लेखनीय है कि श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय उजेली उत्तरकाशी में 11 अप्रैल2012 को कैलाश चन्द्र हरबोला को महाविद्यालय में हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्राचार्य पद पर नियुक्ति मिली थी उसके बाद विभाग ने उनके प्रमाण-पत्र व अनुभव पत्र पत्र विभाग द्वारा कराये गये जांच में फर्जी एवं कुटरचरत पायेगे जिसके बाद निदेशक संस्कृत ने प्रबन्धन समिति को तत्काल कैलास चन्द्र हरबोला के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने के निर्देश दिये थे। इस पूरे प्रकरण के बाद जब श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय प्रबन्धन समिति ने उक्त प्राचार्य की नियुक्ति को निरस्त कर विधिक कार्रवाई थाना कोतवाली उत्तरकाशी में धरा 420,367,368,471 के तहत मुकदमा दर्ज कराया जिस कि विवेचना भी पुलिस ने पूरी करके चार्ज सीट सीजेएम कोर्ट उत्तरकाशी में दाखील कर दी थी। जून 2014 में उक्त चार्ज सीट के खिलापफ कैलाश चन्द्र हरबोला हाई कोर्ट से स्टे लाया था।
नैनीताल हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 18 नवम्बर 2014 उनके प्रमाण-पत्रों की जांच के लिये संस्कृत निदेशक को विभागीय जांच तीन महिने में के अन्दर करने के निर्देश दिये है। जिसके बाद नित्य तक संस्कृत शिक्षा निर्देशक आरती कुमावत जांच में कैलाश चंद हरबोला के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे जिन्हें नौकरी से बर्खास्त किया गया था।