मोरी मैं कोरोना का भय,  खच्चरों  से नहीं ग्रामीण जंगल के रास्ते  खुद  पीठ मैं लाद रहे रसद।। चिरंजीव सेमवाल

 

उत्तरकाशी,9अप्रैल। कोरोना त्रासदी के बाद सीमांत मोरी ब्लॉक के सड़क से वंचित गांव के लोगों इस बात का भी गए सताने लगा है कि जानवरों से भी कोरोना वायरस फैल सकता है।  सड़क बिहीन  गुलामी-खेड़मी गांव के लोग   घोड़ो   खच्चरों  से दूरी बनाकर रसद अपने पीठ मैं लद कर अपने घर पहुंचा रहे हैं ।

  खेड़मी के ग्राम  प्रधान सुरेन्द्र ने बताया कि गांव मैं सडक़ नहीं लोगों म इस बात का भी भैय है कि जानवरों से भी कोरोना महामारी फैल सकती है। गांव मैं सड़क नहीं लोग  लॉकडाउन के चलते मीलो अपने पीठ मैं रसद लाने को मजबूर हैं।

गांव से जिला मुख्यलय  150 किलोमीटर दूरी  का ग्राम पंचायत खेड़मी के ग्रामीण आज से नही पुर्खों से आजादी की जंग झेल रहे है। यहां आने जाने में  बीमार व्यक्तियों, गर्ववती महिलाओं की जो समस्या है वह उस गुलामी की दास्ता से कम नहीं है। गांव के प्रधान बताते हैं कि पड़ोस के  गांव विंगसारी से प्रधानमंत्री सड़क योजना से महज पांच किमी   दूर है खेड़मी गांव  लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते      

      यहां के वासिंदे  आज भी 21 वीं शदी के मैं   जनरेशन इस कठिन भरी गुलामी की दास्ता के जख्मों को सहन करने को मजबूर हैं। 

बादे कि यहां के ग्रामीण पशु पालक व कृषि पर ही निर्भर है।यहां के किसानों का मेहनताना भी पूरा नही मिल पाता है । जिस फसल की लागत किसानों को मिलनी थी वह घोड़े,खच्चरों को देनी होती है। किसानों व बागवानों को किसी भी रूप में अपनी आजीविका का लाभ नही मिल पा रहा है।