राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस  पर लगा कोरोना ग्रहण,जिले मैं नहीं हुई गोष्टी।।पंचायत देश के विकास की रीढ़़ : बिजल्वाण।।चिरंजीव सेमवाल

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस  पर लगा कोरोना ग्रहण,जिले मैं नहीं हुई गोष्टी।।पंचायत देश के विकास की रीढ़़ : बिजल्वाण।।चिरंजीव सेमवाल



 


उत्तरकशी,24 अप्रैल। कोविड- 19 की चैन को तोडने के लिए चल रहे  देशव्यापी लॉकडाउन के चलते इस बार राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस पर जिले मैं भी  कोई गोष्टी आयोजित नहीं हो सकी। 
उल्लेखनीय है कि  भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राजव्यवस्था अस्तित्व में रही है, भले ही इसे विभिन्न नाम से विभिन्न काल में जाना जाता रहा हो। पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम, तहसील, तालुका और ज़िला आते हैं।
पंचायती राज व्यवस्था को कमोबेश मुग़ल काल तथा ब्रिटिश काल में भी जारी रखा गया। ब्रिटिश शासन काल में 1882 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन ने स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। ब्रिटिश शासकों ने स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की स्थिति पर जाँच करने तथा उसके सम्बन्ध में सिफ़ारिश करने के लिए 1882 तथा 1907 में शाही आयोग का गठन किया। इस आयोग ने स्वायत्त संस्थाओं के विकास पर बल दिया, जिसके कारण 1920 में संयुक्त प्रान्त, असम, बंगाल, बिहार, मद्रास और पंजाब में पंचायतों की स्थापना के लिए क़ानून बनाये गये। स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भी संघर्षरत लोगों के नेताओं द्वारा सदैव पंचायती राज की स्थापना की मांग की जाती रही।
जिला पंचायत  अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने कहा पंचायतें  भारत देश की रीढ़ है।   गांधी जी ने कहा था भारत देश गांव में बसता है  गांधीजी की अवधारणा के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने पंचायतों को मजबूत करने के जो सपने देखे थे ओर पंचायतों को सशक्त करने के लिए जो प्रयास किए गए थे  आज सरकारों ने  राजनीति की भेंट चढ़ा चुके यही वजह है कि आज पंचायतों को अपने अधिकारों के लिए तरसना पड़ रहा है।
वहीं गंगोत्री क्षेत्र के पूर्व विधायक  विजय पाल सिंह सजवाण ने कहा कि  इस अवसर पर हम ये संकल्प लें कि ग्राम सशक्तिकरण के माध्यम से भारत को कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में सशक्त बनाएंगे। नोबल कोरोना कोविड 19 महामारी से आज लॉकडाउन की स्थिति में पंचायत प्रतिनिधि प्रत्येक गांवों को सशक्त बनाकर सजगता एवं सुरक्षा के लिए जन जागरूकता लाने में अहम भूमिका निभाएंगे, ऐसा मुझे विश्वास है। पंचायतें ही हमारे समाज और देश  की प्रमुख रीढ़  है।