जब राजशाही के खिलाफ दहाड़ उठी थी रवांई।।
रवाॅई के विद्रहो कृषकों ने हिला दिये थे राजशाही के चूल्ह
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी। सामंती सिताहियों ने बड़कोट यमुना नदी के किनारे तिलाडी मैदान में जनता के साथ 1930 को खून की होल खेलीऔर रवांई के विद्रहो कृषकों ने उसी दिन से राजशाही के चूल्हे उखाड़ने शुरू किये थे। 1930 में टिहरी रियासत में नये वन अधिनियम बनाये गये और लोगों के चरान चुगान बंद कर दिये गये जब स्थानीय लोगों ने इस का विरोध किया तो राज शाही ने किसनों पर गोली चला दिया और रवांई के 9 किसान तिलाडी मैदान में शहीद हो गये और न जाने कितने किसान यमुना नदी में गोलियों के बोझारों से यमुना में कुद पडे जिससे उनका कोई सुरांग तक नहीं लगा इसके अलावा कई र्निदोष काश्तकारों को टिहरी जेल भेज दिया गया।
टिहरी रियाशत की स्थापना महाराजा सुदर्शन शाह ;1815-1859 ई. की थी यहां महाराजा भवानी शाह .,महाराजा प्रताप शाह ,महाराजा कीर्ति शाह महाराजा नरेन्द्र शाह ,महाराजा मनावेन्द्र शाह 1946-1949 ई. जिसमें रवाॅई का परगना राजगढ़ी हुआ करता था। रजतंत्र में अनेक कायेदे कनून कों यहां के जनता को झेलने पडते थे जैसे किसी के पुत्रा पैदा नहीं होगा तो उसे ओता कहा कर उस के भूमि एवं संपती पर राजा का अधिकार था भूमिका लगान,सेमत वेगार प्रथा रजवाडा जैसे जुर्मो जनता हो भुगतने पडते थे। राजा ने जब यह सरा बंजी भूमि के चरान चूगान बंद किये तो यहां के लाग राजा के पास गयो तो राजा ने कहा की हम तुमहारे लिये नुक्सान नही उठायेगये यदि तुम्हारे पास पशु हैं तो उन्हें उफचे पहाड़ से गिरा दो इस शब्दों से रवाॅई के लोगों के दिल में झेद हो गया और उसी दिन से रवाॅई के लोगों ने राज शही के चूल्हे उखड पफैकने का पफैसला लिय। तबी राजा की पफौज रडी पहुॅची और बैठक रखने के बहाने ’बड़कोट का अति रमणीक स्थान यमुना किनारे तिलाडी मैंदान में शन्ति रूप से बैठे लोगों पर राजी कि फौज ने गोलिया चला दी जिससे 9 लोगों ने मोके पर ही ध्म तोड दिया तथा कुछ लोग अपने बचाव के लिये यमुना नदी में कुद गये और अन्य 18 लोगों को टिहरी जेल में बंद कर दिया। यही से रवांंई के लोगों ने आन्दोलन का बिगुल बजाना शुरू किया और राजशाही क खदेडना की शुरूआत हुई और 1949 को भरतीय गणराज्य में टिहरी रियाशत बिलय हो गई
30 मई 1930 के दिन दहाड़ उठा था रवांंई.....घायल शेर की भांति, क्रोध होकर । आक्रमण किया था सामान्ती सत्ता के सुदृढ शासन तंत्र पर ...आने के लिए अपने प्राणों पर खेल कर। हिल उठी थी तिलाडी की ध्रा , कांप उठा थी।
टहरी रियाशत की जनता इन राजाओं के गुलाम सही।।
1 महाराजा सुदर्शन शाह ;1815-1859 ई. 2 महाराजा भवानी शाह ;1859-1871 ई. 3 महाराजा प्रताप शाह ;1871-1896ई. 4 महाराजा कीर्ति शाह ;1896-1813ई. 5 महाराजा नरेन्द्र शाह ;1913-1946 ई. 6 महाराजा मनावेन्द्र शाह ;1946-1949 ई.।