उत्तरकाशी। बीते पांच दिनों से प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखा रही है। किसानों से नाराज प्रकृति आसमानी आफत ढहा रही है, जिससे किसानों की पक्की फसल पूरी तरह से तहस-नहस हो गई है।
जिले में लगातार ओलावृष्टि व मूसलाधार बारिश जारी है जिसके चलते काश्तकारों को गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है l रविवार को गंगा- यमुनाघाटी मैं मैं भारी ओलावृष्टि ने तबाही मचाई।खेतो में जहां गेंहूं, जौ, मटर, सरसो, आलू, प्याज, लहसून, धनियां की फसलें बारिश,हवा व ओला गिरने से चौपट हो गयी है, वहीं बागवानी मैं फलदार पेड़ों सेब, माल्टा, नारंगी, नींबू, च्यूला , खुमानी, आड़ू आदि को भारी क्षति हुयी है। जिससे काश्तकारों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है। काश्तकार प्रशासन से फसल के नुकसान का मुआवजा दिलाने की मांग कर रहे है।
जिले मैं अब तब पांच बार ओलावृष्टि हो गई जबकि बारिश का दौर अप्रैल माह से लगातार जारी है । मूसलाधार बारिश होने के चलते विभिन्न क्षेत्रों में गदेरे उफान पर हैं जिससे लोगों में एक बार फिर से बारिश को लेकर खौफ बन गया है। भटवाड़ी के रैथल,गौरसाली,नटीण,सैज कुमांलडी सहित दर्जनों गांव मैं भारी नुकसान की खबर है। वही अस्सी गंगा मैं क्षेत्र मैं बादल फटने की भी सूचना उधर यमुनाघाटी के बड़कोट,नौगांव, पुरोला, मोरी मैं भी भारी तबाही मचाई है। उधर मोरी के कृष्णा राणा ने बताया कि क्षेत्र के फीताडी सहित कई गांव मैं बारिश ने भारी तबाही मचाई हैं।
, लोगों का कहना है कि अप्रैल-मई माह में इस तरह की बारिश नही होती है l कईयों की तो मेहनत में पानी फिर गया। कुछ ग्रामीण इलाकों से मिली जानकारी के अनुसार बारिश का पानी घरों,छानियो समेत गांव की बेसिक स्कूलों में भी घुस गया। इस बीच अब नुकसान की मार झेल चुके ग्रामीणों की ओर से शासन-प्रशासन से फसलों के नुकसान की भरपाई की मांग उठ रही है। उधर जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने कृषि मंत्री को पत्र लिखकर किसानों भरपाई की मांग की है। इधर भटवाड़ी प्रमुख विनीता रावत ने बताया कि किसानों के लिए मौसम कोरोना आफत बन गया ग्रामीण कृर्षि से ही अपना जीवन यापन करते है और इस बार तो एक तरफ देश कोरोना जैसी महामारी से लड रहा है तो दुसरी तरफ छोटे किसानों जो अपनी आजीविका के लिए अभी से परेशान होने लग गये है। इस बार हमारे खेत पहले ही आसमानी आपदा के शिखार बन गये गेहूं कि फसल बर्वाद हो गई है और सब्जी उत्पादन में भी गिरावट आ गई है लोगो को चिन्ता हो लगी है कि जो कृषि ऋण फसलो के लिए लिया था उसे कैसे जमा करें और किस प्रकार अपनी आजीविका चलायें किसानो कि माने तो यह पहली बार हुआ है की ओलावृष्ट्री से इतनी बडी कृषि ताबाई हो गई उन्होंने सरकार से इसखी भरपाई की मांग की है।